तुम हो एक हवा का झोंका
आओ के ना आओ तुम
कब से आंखें तरस रही हैं
अब तो दरस दिखाओ तुम
बाग़ बगीचे खिल उठते हैं
आहट तेरी पाते ही
फ़िर खामोशी छा जाती है
बस तुम्हारे जाते ही
सूख गयी हैं लब पंखुडियाँ
ओंस ज़रा टपकाओ तुम
मारू थल में पड़ा हुआ हूँ
आके प्यास बुझाओ तुम
बहुत हो गयी अब जुदाई
काटा बहुत अकेलापन
अब तो तुम ऐसे आ जाओ
फिर ना वापस जाओ तुम
तुम हो एक हवा का झोंका
आओ के ना आओ तुम
आओ के ना आओ तुम
कब से आंखें तरस रही हैं
अब तो दरस दिखाओ तुम
बाग़ बगीचे खिल उठते हैं
आहट तेरी पाते ही
फ़िर खामोशी छा जाती है
बस तुम्हारे जाते ही
सूख गयी हैं लब पंखुडियाँ
ओंस ज़रा टपकाओ तुम
मारू थल में पड़ा हुआ हूँ
आके प्यास बुझाओ तुम
बहुत हो गयी अब जुदाई
काटा बहुत अकेलापन
अब तो तुम ऐसे आ जाओ
फिर ना वापस जाओ तुम
तुम हो एक हवा का झोंका
आओ के ना आओ तुम
19 comments:
Wow so u have gud command over hindi too. Read your poems. Seems like making music out of them too. hehehe.
Thanks Parry. Yes that is the other side of the coin. But not getting enough time to write. That is why most of the compositions look incomplete.
Parry, the incorrigible....
Chall Chakk guitar dobara...
Hey Parry, let me know when you compose.
Kya baat hai, aap toh acche shayar bhi nikle! Your wife is so lucky to have u!
ਸੁਆਦ ਆ ਗਿਆ,
ਬਹੁਤ ਖ਼ੂਬ !
Thank you Tulips, but if you meet my wife you will start calling me lucky.
Deepinder , dhannwaad, your blog has a nice picture depicting 'giddhaa' but not showing any posts.
सुस्वागतम
बाग़ बगीचे खिल उठते हैं
आहट तेरी पाते ही
फ़िर खामोशी छा जाती है
बस तुम्हारे जाते ही
मिलना बिछुड़्ना अच्छा लगा
स्वागत है ।
मेरा ब्लोग भी देखें
subah subah hawa ke sath aanand hee aanand aaya kalyan ho vats
narayan narayan
बाग़ बगीचे खिल उठते हैं
आहट तेरी पाते ही
फ़िर खामोशी छा जाती है
बस तुम्हारे जाते ही
सुंदर कल्पना, अच्छा लेखन
मेरे ब्लॉग को भी देखें
ब्लोगिंग जगत में आपका हार्दिक स्वागत है. लिखते रहिये. दूसरों को राह दिखाते रहिये. आगे बढ़ते रहिये, अपने साथ-साथ औरों को भी आगे बढाते रहिये. शुभकामनाएं.
--
साथ ही आप मेरे ब्लोग्स पर सादर आमंत्रित हैं. धन्यवाद.
स्वगतम्
This is a beautiful poem !Your words speak!:)
Abhilasha, so you found out my other side.
Yes i get here once in while jab kabhee is bhagam bhaag se fursat miltee hai.
Tareef ke liye shukria
Such a lovey, sincerely written from the heart poem! Loved it!!!
Pl write some more and keep it going...beautiful words ����☺️����
Nandini. This poem was forced out of me by my 'tangayee' of four years at calcutta many more came out during that tenure which I have have posted in this blog I will try some more but all depends on the mental make up. Thanks for lovely words.
*tanhayee
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