Thursday, November 13, 2008

ओ सुबह

हर दिन शुरू होता है

तेरे नाम के साथ

लालिमा बिखेर देती है

इक हल्की सी मुस्कान तुम्हारी

खिल उठते हैं फूल

चहक उठते हैं पंछी

फ़ैल जाता है उजाला

खुलती हैं जब आंखें तुम्हारी

और फ़िर

दिन चलते चलते 


थक जाता है 

ढल जाता है

सो जाता है


तुम्हारी याद लेकर

रात करवटें बदलती है

बस यही इक आस लेकर

की आओगी तुम

मुस्कुराती

इक नया सुहाना दिन

अपने साथ लेकर

ओ सुबह !!!

4 comments:

Mampi said...

Nah, My comment stands as it is.
This poem owed its ending to someone else.

Balvinder Balli said...

ऐ मोहब्बत तेरे कितने नाम

J P Joshi said...

sunder, ati sunder, warnan hai subah ka, ik nayee umeed ka jo ki har subah se judi hoti hai.

Kajal Tiwari said...

Very Pleasant and nice poem, I really like the lines of the poem, and it's very helpful if you read this in the morning time. I am sharing this blog on my social. If anyone can check my Blog on Valentine Hampers and let me know what exactly I can do to improve my Blog Quality.