थी तमन्ना तुमको भी
हम आरजू करते रहे
चल रहे थे साथ
लेकिन फांसले बढते रहे
कुछ कहा, ना कुछ सुना
लेकिन ख्यालों मे ही हम
एक दूजे के लिए
कुछ सपन से घडते रहे
एक दिन इक मोड आया
जिन्दगी की राह पे
मुड़ गए हम अपनी अपनी
मुखतलिफ़ दिशाओं में
खो गए फिर एक बार हम
दुनिया की इस भीड़ में
सफ़र तै करने कि खातिर
बस यूंहीं चलते रहे
चल रहे थे साथ
लेकिन फांसले बढते रहे
हम आरजू करते रहे
चल रहे थे साथ
लेकिन फांसले बढते रहे
कुछ कहा, ना कुछ सुना
लेकिन ख्यालों मे ही हम
एक दूजे के लिए
कुछ सपन से घडते रहे
एक दिन इक मोड आया
जिन्दगी की राह पे
मुड़ गए हम अपनी अपनी
मुखतलिफ़ दिशाओं में
खो गए फिर एक बार हम
दुनिया की इस भीड़ में
सफ़र तै करने कि खातिर
बस यूंहीं चलते रहे
चल रहे थे साथ
लेकिन फांसले बढते रहे
3 comments:
ਕਦੇ ਕਦੇ ਫਾਸਲੇ ਇੱਕ ਦੂਜੇ ਦੀ ਕਦਰ ਕਰਨ ਵਿੱਚ ਮਦਦ ਵੀ ਕਰਦੇ ਨੇ ।
ਬਹੁਤ ਸੁਹਣਾ ਲਿਖਿਐ ।
You are right Manpreet, I have realised it after getting transfered to Calcutta leaving my family behind at Delhi.
but how did you type in Gurmukhi in the comment window.
Chal rahein the saath
Lekin Faasle badte rahein
Wow!!! These lines capture many of life's sad and tragic moments. Thank God, as these hopefully constitute only moments and not a lifetime.
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